अम्बानी ने Pre - Wedding क्या इज़्ज़त बचाने के लिए करी ?
हिन्दू पुराण एक पवित्र ग्रन्थ है, हिंदू पुराण बड़ी अच्छी एक कथा है जिसमे कहते हैं। "जो लाया वह ब्रह्मा, जो सम्हाले वह विष्णु, जो ले जायेगा वह शिव" तुम्हारा कुछ नहीं है, तुम पर कोई भी काम ही नहीं छोड़ते, तुम जो हो उसकी मर्जी से हो ब्रह्मा ले आये है, विष्णु तुम्हे सम्हाले हैं, शिव तुम्हे ले जायेंगे। मतलब केवल इतना है कि विराट ने तुम में एक तरंग ली है। वही विराट जब चाहेगा तो तरंग समा जायेगी। तुम अपने आप को बीच में मत लाओ।
जब इतनी विराट से विराट चीजें भी तुम्हारे बिना हो गयीं, तो तुम छोटी-छोटी बातों का हिसाबक्यों रखते हो, मत रखो कि मैंने मकान बनाया है। जब तुमने अपने आप को ही नहीं बनाया है तो तुम मकान भी क्या बनाओगे? यह तो जिसने तुम्हें बनाया है, उसी ने बनया होगा, उसी ने तुमसे यह मकान भी बनवा लिया होगा। मकान तुमसे बनवा लेता है। दुकान तुमसे चलवा लेता है। काम तुमसे हजार करवा लेता है। लेकिन तुमको ही जब उसने बनाया, और तुम्हारी नियति में, तुम्हारी प्रकृति में बीज डाले वासनाओं के, इच्छाओं के। और फिर उन्हीं इच्छाओं के बीजों का फिर रूपांतरण होता है, एक वह वृक्ष बनते हैं।
मै एक कहानी रहा था, उसमे एक नास्तिक बोल रहा था। वह ईश्वर के विपरीत प्रमाण दे रहा था। और अंत में उसने बड़े नाटकीय ढंग से टेबल पर घूंसा मारकर कहा कि अगर ईश्वर हो मेरी चुनौती स्वीकार करे | तो मैं चुनौती देता हूं, इसी वक्त अपने किसी देवदूत को भेजो ताकि और मुझे एक चांटा मारे, और वह चांटा सुना जा सके, देखा जा सके। ऐसे कोई देवदूत तो आते ही नहीं, ईश्वर ऐसी चुनौतियां लेता ही नहीं। ऐसा ले तो मुश्किल में पड़ जाये। इतने लोग हैं, इतनी चुनौतियां हैं! लेकिन वही बैठा एक आदमी बीच में से उठा, उसने आकर जोर एक चांटा मारा और वह चांटा सुना जा सकता था | तब नास्तिक ने कहा, यह क्या करते हो? उसने उसने कहा कि ईश्वर ने मुझे भेजा है। ईश्वर ने कहा कि तुम इस योग्य नहीं कि देवदूत भेजे जायें, मैं ही काफी हूं।
वैज्ञानिक बड़े चकित थे कि यह घोंसला कैसे बना लेते है ! और घोंसला कोई छोटी प्रक्रिया नहीं है। कभी आप एक पक्षी का घोंसला उतारकर फिर उसे बनाने की कोशिश करो। तुम बड़ी मुश्किल में पड़ जाओगे। तिनकों से, धागों से, पंखों से पक्षी ऐसे सुंदर घोंसले बनाते हैं। कभी-कभी तो बड़े जटिल घोंसले बनाते हैं। कोई तो बनवा लेता है? जिसने पक्षियों को बनाया है, उसको जीवन दिआ, उसी ने शायद पक्षियों के द्वारा घोंसले बनाने की योजना भी उनके भीतर भरी होगी | बिना शिक्षण के करवा लेता है।
बैठे-बैठे दिले मै, ये खयाल आया है,
हम नहीं आये यहां, कोई हमें लाया है!
जीवन को थोड़ा परखो, फिर से छानो, फिर से विश्लेषण करो, तुम पाओगे की कोई तुमसे करवा रहा है।
यह खयाल तो बड़ा अच्छा है अगर ध्यान बन जाये। और ध्यान से मेरा अर्थ है, अगर यह खयाल स्थिर भाव बन जाये, तुम्हारा बोध बन जाये।
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